Lal Bahadur Shastri Jayanti 2024: जानें शास्त्री जी की ज़िंदगी के 11 अनसुने किस्से जो शायद ही आपको पता हो
2 अक्टूबर 2024 को हम भारत के दूसरे प्रधानमंत्री, लाल बहादुर शास्त्री जी की 120वीं जयंती मना रहे हैं। उनका जीवन सादगी, ईमानदारी और देशभक्ति का प्रतीक रहा है। यहां हम उनके जीवन के 11 अनसुने किस्सों पर नजर डालेंगे, जो उनकी महानता और सादगी को उजागर करते हैं।
Main Points
शास्त्री जी के जीवन के 11 अनसुने किस्से
1. सादगी की मिसाल: सायरन वाली गाड़ी का इंकार
एक बार जब शास्त्री जी गृह मंत्री थे, उन्हें जल्द ही दिल्ली पहुंचना था, लेकिन ट्रैफिक की वजह से देरी हो रही थी। जब उन्हें सायरन लगी गाड़ी का ऑफर दिया गया, उन्होंने इसे विनम्रता से ठुकरा दिया, यह कहते हुए कि वे कोई विशेष व्यक्ति नहीं हैं और उन्हें किसी विशेष सुविधा की आवश्यकता नहीं है
2. ‘शास्त्री’ उपाधि कैसे मिली?
शास्त्री जी को यह उपाधि बनारस के काशी विद्यापीठ से मिली थी, जहां उन्होंने अपनी शिक्षा पूरी की। उनकी सरलता और शिक्षा के प्रति उनका गहरा लगाव हमेशा उनकी पहचान का हिस्सा बना रहा।
3. तीसरे श्रेणी के व्यक्ति का स्वाभाविक आत्मबोध
जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री बने, उन्होंने खुद को “तीसरे श्रेणी का व्यक्ति” कहा। उनका यह विचार उनके जीवनभर की सादगी और आत्मसम्मान को दर्शाता है।
4. ‘जय जवान, जय किसान’ का आह्वान
1965 के युद्ध के दौरान, जब देश संकट में था, शास्त्री जी ने “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया, जो आज भी देशवासियों के दिलों में बसा हुआ है।
5. बिना उधार के जीना
शास्त्री जी ने हमेशा आर्थिक अनुशासन का पालन किया। जब एक बार उन्होंने कार खरीदने के लिए बैंक से कर्ज लिया, तब भी उन्होंने इसे समय पर चुका दिया। उनकी ईमानदारी और सादगी उनके हर कदम में दिखती थी।
6. स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी
लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से प्रेरित होकर पढ़ाई छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन और नमक सत्याग्रह में हिस्सा लिया, जिसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। उनके इन योगदानों ने उन्हें एक सच्चे देशभक्त के रूप में उभारा।
7. सादगी से जीवन जीने का उदाहरण
शास्त्री जी का जीवन सादगी और कर्तव्यनिष्ठा का प्रतीक था। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी उन्होंने कभी सरकारी सुख-सुविधाओं का अधिक लाभ नहीं लिया। एक किस्सा है जब उन्होंने रेल मंत्री रहते हुए ट्रेन दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया, जो उनके नैतिकता के उच्च स्तर को दर्शाता है।
8. शास्त्री जी की सादगी का प्रतीक साइकिल
प्रधानमंत्री बनने के बावजूद, लाल बहादुर शास्त्री अपने शुरुआती दिनों में साइकिल का इस्तेमाल करते थे। साइकिल चलाने की उनकी आदत उनकी सादगी और प्रकृति से जुड़े जीवन का प्रतीक मानी जाती है।
9. परिवार के लिए बैंकों से उधार
एक अन्य अनसुना किस्सा यह है कि प्रधानमंत्री रहते हुए भी शास्त्री जी ने परिवार की जरूरतें पूरी करने के लिए बैंकों से लोन लिया था। उनके निधन के बाद, यह लोन उनके परिवार द्वारा चुकाया गया था।
10. बच्चों के लिए उदाहरण
शास्त्री जी ने अपने बच्चों को सिखाया कि वे किसी भी प्रकार के सरकारी लाभों का उपयोग न करें। उन्होंने अपने परिवार को सादगी और ईमानदारी के साथ जीवन जीने की शिक्षा दी।
11. गांधी जी के आदर्शों पर अडिग
लाल बहादुर शास्त्री महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलते थे। वे गांधीजी की नीतियों और उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर पूरी ईमानदारी के साथ चले और देश के सामने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया।
12. नैतिकता की मिसाल
जब वे प्रधानमंत्री बने, तब उन्होंने अपने परिवार से कहा था कि सरकारी सुविधाओं का उपयोग केवल आवश्यक होने पर किया जाए। उनका मानना था कि सरकार के संसाधनों का व्यक्तिगत लाभ नहीं उठाया जाना चाहिए।
13. ताशकंद समझौता और रहस्यमय मृत्यु
1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद ताशकंद में शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। लेकिन इसी के बाद 11 जनवरी 1966 को उनकी अचानक मृत्यु हो गई। आज भी उनकी मृत्यु एक रहस्य बनी हुई है, जिसे लेकर कई विवाद उठते रहते हैं।
लाल बहादुर शास्त्री जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि सादगी, ईमानदारी और देशप्रेम से बढ़कर कुछ नहीं है। उनकी यह अनसुनी कहानियाँ आज भी हमें प्रेरणा देती हैं।